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Sunday, August 1, 2010

ना! ये तेरा नहीं है...

कभी कभी हमें ये लगता है कि हमने वो सब कुछ पा  लिया जो हमें चाहिए था..पर कुछ ही समय बाद पता चलता है कि वो सब एक टूटता हुआ सपना था. उस टूटते सपनो को वही महशूस कर सकता है जिसने उसे बुना है.. टूटते  सपनों की  घुटन..  लगता है जीवन एक बोझ हो गया.. पर क्या ये जीवन हमारा है? नहीं ये  तो माता पिता के द्वारा हमें ईश्वर  ने  दिया है.  बस हम इसे जीने के अधिकारी है.. जैसे एक घर हो किराये का...

 क्या हमें अपने टूटे सपनो का दर्द नहीं होना चाहिए .... जरुर,,,
पर दर्द जीवन पर भरी ना हो जाये... टूटते सपनो को जोड़ सको तो जोड़ो.. पर... टूट गए  सपनो को बुनाने मत बैठो .. फिर कोइ  नया सपना बुनो जो अपना हो... जीवन जीने की  राहे अनेक है. जियो  जी भर के..



 राजेश मिस करता हूँ  तुमको...  मुकेश  भारती
                                                १ अगस्त २०१०

5 comments:

  1. MUKESH, MAIN BAHUT HI APNE KO GAURWANWIT MAHSUS KAR RAHA HUN TUMAHRE SAHITYA KI GOTAKHORI DEKH KAR. ISME KITNA ANAND HAI YE MAIN BAKHUBI FEEL KAR RAHA HUN.

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  2. sapne kai parkar ke hote hain .jab koi sapna aap ke dil ko chu le to wo bahut hi yaad aata hai .

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  3. Dreams always inspire to move forward & helping us in make ourself a succusfull person.

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  4. bahut hi sundar soch hai tumhari khub aage jana hamari dua hai .

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  5. kya baat hai bohut khubb sach kaha sapna wahi dekho jo apna ho...umdaa behad umdaa mukesh..

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