कभी कभी हमें ये लगता है कि हमने वो सब कुछ पा लिया जो हमें चाहिए था..पर कुछ ही समय बाद पता चलता है कि वो सब एक टूटता हुआ सपना था. उस टूटते सपनो को वही महशूस कर सकता है जिसने उसे बुना है.. टूटते सपनों की घुटन.. लगता है जीवन एक बोझ हो गया.. पर क्या ये जीवन हमारा है? नहीं ये तो माता पिता के द्वारा हमें ईश्वर ने दिया है. बस हम इसे जीने के अधिकारी है.. जैसे एक घर हो किराये का...
क्या हमें अपने टूटे सपनो का दर्द नहीं होना चाहिए .... जरुर,,,
पर दर्द जीवन पर भरी ना हो जाये... टूटते सपनो को जोड़ सको तो जोड़ो.. पर... टूट गए सपनो को बुनाने मत बैठो .. फिर कोइ नया सपना बुनो जो अपना हो... जीवन जीने की राहे अनेक है. जियो जी भर के..
राजेश मिस करता हूँ तुमको... मुकेश भारती
१ अगस्त २०१०