आज कल अन्ना के अनशन की सब ओर चर्चा है .. यूँ कहें तो लोकपाल और अनशन का डंका बज रहा है ..
महात्मा गाँधी ने ये हथियार हम सब भारतीयों को दिया .. पर उसका उपयोग अन्ना जैसे ही कुछ लोग कर रहे है.
ये जो अनशन रूपी हथियार है, वह बाहरी भ्रष्टाचार से तो लड़ ही रहा है.. पर अपने अंदर के भ्रष्टाचार को भी मिटाता है .. देखिये एक बानगी ..
आदमी इस दुनिया में है तो कोई ना कोई कमी अवश्य रहती है, सुधार की गुन्जाइश इस दुनिया को छोडने से पहले तक.. लाज़मी है मेरे अंदर भी अवगुणों की भरमार है ..
ये अवगुण भी दो तरह के है .... एक जो सिर्फ अपने को हानि पहुँचते है .. और दूसरे ... जो हमें और दोस्त , दुनियाँ सब को ...
कड़वा सच बोलने की आदत के कारण एक मित्र का मेरे द्वारा समाज में अपमान हो गया.. हलाँकि वो थे भी इस काबिल .... परन्तु थोड़ी देर बाद ही ये महसूस हो गया कि.. कड़वा सच मुझे ही अब दुःख दे रहा है..
मन में ग्लानि हुई.. मित्र भी ऐसे थे कि मान अपमान को झाड़ कर चल पड़े .... सच कहें तो वो इस कदर ढीठ हो गये थे .. कि मान अपमान या गलती कर के उन्हें फर्क नहीं पड़ता .. जब उनके इस गुण को जाना तो दुःख और बढ़ गया ..
मन कचोटता रहा क्या करूँ ?
टीवी पर अन्ना दिख रहे थे , और उस पर उनके अनशन की खबर ...
बस सोंच लिया अनशन .. रात के भोजन का त्याग कर
अपने मन के मलाल को दूर कर लिया ....
लगा जैसे आत्मा शुद्ध हो गयी ..
......................................करना चाहेंगे आप भी आत्मशुद्धि ......
मुकेश भारती,
गौचर
चमोली, (उत्तराखंड)
महात्मा गाँधी ने ये हथियार हम सब भारतीयों को दिया .. पर उसका उपयोग अन्ना जैसे ही कुछ लोग कर रहे है.
ये जो अनशन रूपी हथियार है, वह बाहरी भ्रष्टाचार से तो लड़ ही रहा है.. पर अपने अंदर के भ्रष्टाचार को भी मिटाता है .. देखिये एक बानगी ..
आदमी इस दुनिया में है तो कोई ना कोई कमी अवश्य रहती है, सुधार की गुन्जाइश इस दुनिया को छोडने से पहले तक.. लाज़मी है मेरे अंदर भी अवगुणों की भरमार है ..
ये अवगुण भी दो तरह के है .... एक जो सिर्फ अपने को हानि पहुँचते है .. और दूसरे ... जो हमें और दोस्त , दुनियाँ सब को ...
कड़वा सच बोलने की आदत के कारण एक मित्र का मेरे द्वारा समाज में अपमान हो गया.. हलाँकि वो थे भी इस काबिल .... परन्तु थोड़ी देर बाद ही ये महसूस हो गया कि.. कड़वा सच मुझे ही अब दुःख दे रहा है..
मन में ग्लानि हुई.. मित्र भी ऐसे थे कि मान अपमान को झाड़ कर चल पड़े .... सच कहें तो वो इस कदर ढीठ हो गये थे .. कि मान अपमान या गलती कर के उन्हें फर्क नहीं पड़ता .. जब उनके इस गुण को जाना तो दुःख और बढ़ गया ..
मन कचोटता रहा क्या करूँ ?
टीवी पर अन्ना दिख रहे थे , और उस पर उनके अनशन की खबर ...
बस सोंच लिया अनशन .. रात के भोजन का त्याग कर
अपने मन के मलाल को दूर कर लिया ....
लगा जैसे आत्मा शुद्ध हो गयी ..
......................................करना चाहेंगे आप भी आत्मशुद्धि ......
मुकेश भारती,
गौचर
चमोली, (उत्तराखंड)