आँचल की गंध
2 जी 3जी नेट इन्टरनेट .... कॉल फोन कॉल .... चैट .... वीडियो चैट.... और क्या क्या...
लगता है हम 24 घंटे .. सारी दुनिया से जुडे हुए .... अलग है ही नहीं .....
अब साल ...दो साल में घर जाओ ...
कोइ बात नहीं ना जाओ सब मनैज हो जाता है .. तब भी..........
पर.... कुछ.. लगता है अपने को की ये ठीक है या नहीं ..
एक बानगी ...
एक लंबा अर्सा हो गया .. तुम से मिले .....
मन कुछ ठीक नहीं लग रहा है,
क्यों बेटा ...? क्यों परेशान हो रहे हो ?
बात तो कर ही लेती हूँ ...
हाँ..... वो तो सब ठीक है ...
बेटा .. तुमने वीडियो चैट करना सिखाया था ....
उससे तुमको देख भी लेती हूँ....
वो सब तो ठीक है.... माँ पर...
बेटा .... तो क्या......
.................माँ पर तेरे आँचल की गंघ नहीं आती .........
मुकेश भारती
चंडीगढ़ से ,
15-03-2011