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Tuesday, March 27, 2012

आस्था, चलन और संगीत

आज नवरात्रि का  पहला दिन है... रात में ही हिदायत मिली थी  के सुबह जल्दी उठना है पूजा करनी है...  जल्दी उठा नहाया धोया ...
पर आज ये सब बाते क्यों कर रहा हूँ?
 बात ही कुछ  ऐसी  है..  
संगीत से हम   भारतीयों का  कुछ इस कदर  लगाव   है.. कि हर तीज- त्यौहार , पूजा यहाँ तक की  दुःख  में भी संगीत का प्रयोग  होता है...
                                                                      सुबह भी मैंने  DVD  ऑन किया  ...   भक्ति के गाने चलने लगे.. सब काम  होते रहे..  घर साफ हो गया..  पूजा की  थाली लग गयी , हवन सामग्री सज  गयी.. दीप जल गया.. ...  पर जब पूजा शुरु होने हो हुई तो .. DVD  से "ख्वाजा  मेरे ख्वाजा दिल में समा जा"  (फ़िल्म जोधा -अकबर ) बजने लगा..  वो पूजा कर रही थी.. मैंने   DVD  बंद कर  दूसरा गाना( देवी के गीत) चलाने की  कोशिश   कर ही रहा था के आवाज़ आई.. गाना क्यूँ बंद कर दिया...

मेरा उत्तर आपका उत्तर हो सकता है..

के भाई दुर्गा माँ  जी की  पूजा के समय मुसलमानी  गीत...... अरे ये तो गजब हो जायेगा....
पर.. उसका उत्तर था ... भगवन तो एक ही  है... सब गाने उसके ही...

अब मेरे जेहन में दो सवाल आये...

.............................क्या नयी सोच का चलन आ गया.
या वो संगीत की जादूगरी थी .....???

चलो... हम तो बदल गए पर वो.....???


मुकेश भारती ,
गौचर , उत्तराखंड .
२३-०३-२०१२