परम्परायें हमें विरासत में मिली है.. लेकिन इनको निभाना आसान नहीं.
करवा चौथ का व्रत सुहागिनों के साथ कुछ और भी लोग करते है, जिन्होंने किसी को अपना मान लिया है या प्रेम सम्बन्ध में है.
पर आज उसको व्रत करते देखा जिसका सम्बन्ध कुछ कारणों से नहीं रहा ..
उस महिला मित्र ने ठंढी आह से बताया था कि.... मजाक मजाक में ही शुरू हो गया.....
- शायद इस व्रत को ढोना उसकी मज़बूरी बन गयी है.
- या दिल का एक कोना ये कहता है कि शायद हमारा प्यार फिर हमें वापस मिल जायेगा .
शायद दिल के जज्बातों के उत्तर शब्दों से नहीं हो सकते... महसूस ही कर सकते है आप ...
उत्तर शायद आपके पास हो ?..?...?
पुनुमाला चिंता रहती है तुम दोनों की
मुकेश भारती
गोपेश्वर (उत्तराखंड)
27 अक्टूबर 2010