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Wednesday, October 27, 2010

करवा चौथ का व्रत ... इतर सन्दर्भ

आज काफी समय के बाद आप से मुखातिब  हो रहा हूँ . आज कुछ ऐसी  बात कहने जा रहा हूँ . जो मेरे कुछ दोस्तों के दर्द  को बढ़ा सकता है. कुछ पुराने घावों  को ताजा  कर सकता है .. माफ़ करना ...

 परम्परायें  हमें  विरासत में  मिली  है.. लेकिन  इनको निभाना आसान नहीं.
करवा चौथ का व्रत सुहागिनों के साथ कुछ और भी लोग करते है, जिन्होंने किसी  को अपना मान  लिया है या प्रेम सम्बन्ध में  है.
                    पर आज उसको   व्रत  करते देखा जिसका सम्बन्ध कुछ कारणों से नहीं रहा ..


आज दिल में ऐसी  हूक उठी के लिखने से आपने को रोक नहीं सका.
उस महिला मित्र ने  ठंढी आह से बताया था कि.... मजाक मजाक में ही  शुरू हो गया.....
  •  शायद इस व्रत को  ढोना  उसकी मज़बूरी बन गयी है.
  • या दिल का एक कोना ये कहता है कि शायद हमारा प्यार फिर हमें वापस मिल जायेगा .
मैं  अपनी प्रतिक्रिया नहीं दे पाया...
शायद दिल के जज्बातों के  उत्तर शब्दों  से नहीं हो सकते... महसूस  ही कर सकते है आप ...

  उत्तर शायद आपके  पास हो ?..?...?








पुनुमाला चिंता रहती है तुम दोनों की

                                                                                                                       मुकेश भारती
                                                                                                                           गोपेश्वर (उत्तराखंड)
                                                                                                                              27 अक्टूबर  2010

7 comments:

  1. मुकेश जिन शब्दों की जुबान नहीं होती वो बिना कहे बहुत कुच्छ कह देते हैं

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  2. ब्लॉग जगत में स्वागत है.......

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  3. बहुत अच्छा प्रयास !

    हिंदी ब्लोगिंग में आपका स्वागत है ! मेरी शुभकामनायें आपके साथ हैं !

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  4. कुछ शब्द ऐसे होते हैं जो अपने आप में सबकुछ कह देते हैं|

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  5. aapka blog ....cant express in d wrd..
    only the core telling dis ..feeling .
    although sadness is the result of happiness..
    so always be the cause not the result:)

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  6. सर,
    आज बड़े दिनों बाद आपका ब्लॉग पढ़ने को मिला...........पढ़कर मैं सोच में हूँ कि कब तक कोई किसी पुराने, उलझे,नाज़ुक,रिश्ते को बोझ समझकर या उसके पहले कि तरह ठीक होने के इंतज़ार में निभा पता है............ और आखिर क्यों?



    I WISH EVERYTHING VL B NORMAL ND SAME AS BEFORE IN THE LIFE OF BOTH OF THEM.........


    WAITING 2 C MORE WRITINGS 4M U............

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  7. शानदार प्रयास बधाई और शुभकामनाएँ।

    एक विचार : चाहे कोई माने या न माने, लेकिन हमारे विचार हर अच्छे और बुरे, प्रिय और अप्रिय के प्राथमिक कारण हैं!

    -लेखक (डॉ. पुरुषोत्तम मीणा 'निरंकुश') : समाज एवं प्रशासन में व्याप्त नाइंसाफी, भेदभाव, शोषण, भ्रष्टाचार, अत्याचार और गैर-बराबरी आदि के विरुद्ध 1993 में स्थापित एवं 1994 से राष्ट्रीय स्तर पर दिल्ली से पंजीबद्ध राष्ट्रीय संगठन-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान- (बास) के मुख्य संस्थापक एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं। जिसमें 05 अक्टूबर, 2010 तक, 4542 रजिस्टर्ड आजीवन कार्यकर्ता राजस्थान के सभी जिलों एवं दिल्ली सहित देश के 17 राज्यों में सेवारत हैं। फोन नं. 0141-2222225 (सायं 7 से 8 बजे), मो. नं. 098285-02666.
    E-mail : dplmeena@gmail.com
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    http://baasvoice.blogspot.com/
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